Poem in Hindi- ग्राम श्री
फैली खेतों में दूर तलक
मखमल -सी कोमल हरियाली
लिपटी जिससे रवि की किरणे
चांदी की सी उजली जाली।
अब रजत स्वर्ण मंजरियों से
लद गई आम्र तरु की डाली।
झर रहे ढाक, पीपल के दल ,
हो उठी कोकिला मतवाली
महके कटहल, मुकुलित जामुन ,
जंगल के झरबेरी झूली।
फूले आड़ू , नीबू , डाँड़िम
आलू , गोभी, बैगन , मूली।
पीले- मीठे अमरूदों में
अब लाल लाल चितिया घड़ी
पाक गए सुनहले मधूल बेर
अवली से तरु की दाल जड़ी।
लह लह पालक, महमह धनिया
लौकी और सेम फली, फैली
मखमली टमाटर हुए लाल ,
मिर्चो की बड़ी हरी मैथी।
लेखक- सुमित्रा नंदन पंत
Note- यह कविता कवि के द्वारा बहुत सुंदर लिखा गया गया है इस Poem को सुनते ही बच्चों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। छोटे बच्चें अपने स्कूल में किसी प्रतियोगिता में सुना सकते है। इस वेबसाइट पर जो भी Poem है वो सभी Poem किसी book, magazine, newspaper या फिर social media से लिया गया है। इस वेबसाइट पर जो भी कुछ है वो सभी पोस्ट किसी book, magazine , newspaper या फिर social media से लिया गया है। इस वेबसाइट पर जो भी पोस्ट पोस्ट किया गया है उन सभी पर लिखने वाले लेखक का Rights है। हमारा rights नहीं है। हम तो बस आप लोगो तक पंहुचा रहे है।
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