Poem in Hindi- चेतक की वीरता
यह कविता कवि के द्वारा बहुत सुंदर लिखा गया गया है इस Poem को सुनते ही बच्चों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। छोटे बच्चें अपने स्कूल में किसी प्रतियोगिता में सुना सकते है। इस वेबसाइट पर जो भी Poem है वो सभी Poem किसी book, magazine, newspaper या फिर social media से लिया गया है। इस वेबसाइट पर जो भी कुछ है वो सभी पोस्ट किसी book, magazine , newspaper या फिर social media से लिया गया है। इस वेबसाइट पर जो भी पोस्ट पोस्ट किया गया है उन सभी पर लिखने वाले लेखक का Rights है। हमारा rights नहीं है। हम तो बस आप लोगो तक पंहुचा रहे है।
रण- बीच चौकड़ी भर- भरकर
चेतक बन गया निराला था |
राणा प्रताप के घोड़े से,
पड़ गया हवा का पाला था |
गिरता न कभी चेतक तन पर
राणा प्रताप का घोड़ा था |
यह दौड़ रहा आरि- मस्तक पर,
या आसमान पर घोड़ा था।
जो तनिक हवा से बाग़ हिली,
लेकर सवार उड़ जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था।
कौशल दिखलाया चौलो में,
उड़ गया भयानक भालो में।
निर्भीक गया वह ढालो में
सरपट दौड़ करवालों में।
है यही रहा अब यहां नहीं ,
वह वही रहा , है वही नहीं।
थी जगह न कोई जहां नहीं ,
किस अरि- मस्तक पर कहाँ नहीं।
बढ़ते नाड – सा वह लहर गया ,
वह गया, गया फिर रुक गया।
विकराल वजमय बादल- सा ,
अरि की सेना पर घहर गया।
भाला गिर गया, गिरा निशंग ,
हय टापों से खन गया अंग।
बेरी समाज रह गया दंग ,
घोड़े का ऐसा देख रंग।
लेखक – श्यामनारायण पाण्डेय
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