कृष्ण की रासलीला- रात को चुकी थी। सभी गोपियाँ अपने -अपने घरो के कामो में व्यस्त थी। तभी अचानक से कही दूर से बासुरी बजाए जाने की आवाज सुनाई दी। गोपियों को बासुरी की मधुर -ध्वनियों का ऐसा प्रभाव पड़ा कि सभी अपने -अपने कामो को छोड़कर उसी क्षण अपने -अपने घर से बाहर निकल गई। यह बासुरी कोई और नहीं बल्कि यमुना किनारे कंदब वृक्ष के निचे कृष्ण ही बजा रहे थे।
वह शरद पूर्णिमा की रात थी।चाँद अपने पुरे निखार पर था। वन के पेड़ पौधों पर चांदनी छिटक रही थी मंद -मंद हवा चल रही थी। कृष्ण के हिर्दय रूपी विणा के तार झंकृत न होते ,भला यह कैसे संभव था।
जैसे ही कृष्ण को अपने आस पास गोपियों के होने का आभास हुआ ,उन्होंने अपनी आँखे खोल ली। गोपिया को सामने देखकर उनका मन प्रफुल्लीत हो उठा पर उन्हें गोपियों की चिंता होने लगी। इतनी सुन्दर व सुकुमार स्त्रिया अपने घरो से इतनी दूर इस तरह वन में क्यों चली आई। यही सोचकर उन्होंने उन सबको अपने-अपने घर लौट जाने को कहा।
कृष्ण की बात सुनकर गोपिया भाव स्वर में बोली,” कन्हैया अब हमे इस तरह अपने से दूर मत करो। तुम्हारे प्रेम में हमने अपना सब कुछ त्याग दिया है। तुम चाहो तो हमारे प्रेम की परीक्षा ले लो, मगर अपने से दूर करके हमारा हिर्दय यु न तोड़ो।
गोपिया के मुख से ऐसी बाते सुनकर कृष्ण मन -ही -मन हसने लगे कृष्ण गोपियों के साथ मिलकर खूब मनोरंजन की। तभी कृष्ण ने सोचा क्यों न इनकी परीक्षा ली जाए तभी कृष्ण अचानक से अदृश्य हो गए गोपिया उन्हें खोजने लगी कही पेड़ो से पूछती है नदी तट पर खोजती है चारो तरफ खोज रही थी क्या किसी ने कृष्ण को देखा है सभी गोपिया कृष्ण के प्रेम में मग्न थी। जैसे उन्हें स्वयं के होने का भी भाव न हो। कृष्ण अदृश्य रूप से सब कुछ देख रहे थे उन्हें यह सब देखकर अत्यंत आनंद आ रहा था कृष्ण जो भी लीला करते थे वही सब गोपिया करती।
कुछ समय बाद कृष्ण प्रकट हो गए। कृष्ण ने सब कुछ गोपियों को बताया की क्यों वे अदृश्य हो गए थे कृष्ण ने कहा तुम लोग परीक्षा में सफल हुई ऐसा कृष्ण के मुख से सुनकर गोपिया बहुत खुश हुई सभी गोपिया कृष्ण के साथ नृत्य करना चाह रही थी तब कृष्ण ने सोचा क्यों न मैं इतने रूप धारण कर लू की प्रत्येक गोपी के साथ अलग अलग नित्र्य कर सकू इससे सभी गोपियों की मनोकामना भी पूर्ण हो जायेगी कृष्ण ने ऐसा ही किया अनेक रूप धारण कर प्रत्येक गोपियों के साथ नित्य करने लगे।
कृष्ण की बासुरी और गोपियों के नृत्य से पूरा वृन्दावन गुंजायमान हो उठा। गोपिया सुध बुध खोकर कृष्ण के साथ रात भर नृत्य करती रही। सुबह होने पर कृष्ण ने बासुरी बजाना बंद कर दिया और अपने सभी रूपों को अपने अंदर समा लिए। गोपियों से बोले चलो ,चलकर अब यमुना में स्नान कर ले। फिर हम सब अपने नगर को लौट चलेंगे।
इसके बाद कृष्ण स्नान किये उसके बाद अपने -अपने घरो को लौट गए।
दोस्तों इस पोस्ट में जो भी जानकारी दी गई है, इसके पीछे एक महान लेखक जी है जिन्होंने हमें जानकारी दी है। जिन लेखक ने लिखा है सिर्फ उनका rights है। यह Post Shanti Publications की बुक से लिया गया है। अगर यह पोस्ट आपको पसंद आये तो अपने दोस्तों को Share जरूर करे |
Leave a Reply