गन्धर्व कौन थे- वृन्दावन नगर से कुछ ही दुरी पर सरस्वती नदी बहती थी। कृष्ण की मंगल कामना के उददेश्य से कई वर्ष पूर्व ही नन्द ने संकल्प लिया था ,”मेरा पुत्र कृष्ण जब बारह वर्ष का हो जाएगा ,तब मैं सरस्वती नदी के तट पर जाकर देवी अम्बिका की उपासना करूँगा। आज वह शुभ घड़ी आ चुकी थी। आज शिवरात्रि के दिन कृष्ण का बारवहा जन्मदिन था। सुबह होते ही नन्द कृष्ण को लेकर अपने कुछ साथियो के साथ सरस्वती नदी की ओर चल पड़े।
वहाँ पहुंचने के बाद सबने सबसे पहले सरस्वती जल में स्नान किया। उसी के तट पर अम्बिका नामक एक अति सुन्दर वन था। वन में एक अम्बिका देवी की एक मूर्ति भी प्रतिष्ठित थी। स्नान के बाद नन्द ने पुरे विधि -विधान से देवी अम्बिका की पूजा की। अपनी मनौती उतारने के बाद नन्द ने सोचा ,’क्यों न यही घने वृक्षों की छाया में कुछ देर आराम कर लू। आराम करने के लिए वृक्ष के निचे लेट गए नन्द के साथी भी वही आराम करने लगे। कुछ ही समय बाद सबको नीद आ गई।
तभी एक अजगर की नजर नन्द बाबा पर पड़ी वो नन्द बाबा की तरफ बढ़ा और उनके पैर को पकड़ लिया नन्द बाबा की आँख खुल गई और जोर से चिलाये उनके पास सोये साथी उनकी आवाज सुनकर उठ गए और अजगर को देखकर डर गए। साथियो को समझ नहीं आ रहा कैसे बचाये फिर उन सब ने हवन की जली हुई लकड़ी लाकर अजगर को मारे लेकिन उसे कोई असर नहीं हुआ उसने नन्द बाबा के पाँव को नहीं छोड़ा।
नन्द ने जोर से चिल्लाकर कृष्ण को बुलाया कृष्ण आवाज सुनकर दौड़ते हुए वहां आ पहुंचे कृष्ण को देखकर अजगर पर कृष्ण को बहुत गुस्सा आया कृष्ण ने अजगर को अपने पैर से मारा अजगर मर गया। मरते ही अजगर ने गंधर्व का रूप धारण कर लिया और कृष्ण से प्रार्थना करता हुआ बोला ,”भगवान आज आपकी कृपा से मैं शाप -मुक्त हो गया हु। उस गंधर्व का नाम विद्याधर था। एक बार अपने रथ पर सवार होकर कहीं जाते हुए उसकी नज़र अंगिरा ऋषि पर पड़ी। अंगिरा ऋषि बहुत कुरूप थे। गन्धर्व उनकी कुरूपता पर हसने लगे। उसके इस व्यहार से ऋषि ने उसे शाप दे डाला ,”तुम्हे अपने रूप का बहुत अभिमान है। मैं तुम्हे शाप देता हु कि आज से धरती पर अजगर बनकर अपना पेट भरोगे।
विद्याधर ने हाथ जोड़कर कहा ,”नहीं -नहीं ऋषिवर मुझे इतना कठोर शाप न दीजिये मैं अपनी करनी पर लज्जित हु। अब से ऐसी भूल कभी नहीं करूँगा आप कृपा करके अपना शाप लौटा दीजिए।
ऋषि ने कहा मैं अपना शाप लौटा तो नहीं सकता पर तुम्हे इस मार्ग से मुक्त होने का मार्ग दिखा सकता हु दवापर युग में जब पृथ्वी पर कृष्ण के रूप में स्वयं भगवान विष्णु अवतार लेंगे ,तब उन्ही के स्पर्श से तुम्हे इस शाप से मुक्ति मिलेगी।
इस प्रकार कृष्ण ने गंधर्व विद्याधर का उदधार किआ। वह कृष्ण से आज्ञा लेकर पुनः गंधर्वलोक को लौट गया।
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